....अंडरवियर तक उनकी बताई पहनते हैं


अनुराग द्विवेदी


मैने कुछ दिनों पहले फिल्म दिखी चक दे इंडिया। शाहरूख खान की बेमिसाल एक्टिंग से मन रोमांचित हो गया। एक सीन में जब शाहरूख खान प्लेयर्स से पूछते हैं कि आप कहां से है तो सब अपने स्टेट का नाम लेते हैं। इसपर शाहरूख खान नाराज होकर कहते हैं इंडिया बोले। तालियां बजीं हमने भी बजा दी ताली। सही कहा हम भारतीय हैं। कुछ दिनों बाद एक फिल्म देखी जिसमें एक अभिनेता अपने को पंजाबी कह कर संबोधित कर रहे थे। कह रहे थे कि पंजाबी ऐसे ही होते हैं। मैने कहा यह भी सही है। फिर एक हॉलीवुड फिल्म देखी उसमें वह सिटी विशेष का न होकर खुद को देश का नागरिक कह कर संबोधित कर रहा था। भारत जहां फिल्म और उनके कलाकारों की दिवानगी युवाओं में इस हद तक है कि उनके मनपसंद हीरो के साथ अगर कुछ होता है कुछ लोग खुदकुशी तक कर लेते हैैं। कपडे ही नहीं अंडरवियर तक उनकी बताई पहनते हैं। यह युवा इसी संशय में रहते हैं कि आखिर वह भारत के है यह राज्य के हैं। जो हीरो बोल देता है वह सही है। इसलिए इन कलकारों का यह दायित्व भी बनता है कि वह युवाओं को सही दिशा दिखाएं। उन्हें राज्य में न बांधे और देशहित की बात बताएं। केवल फिल्म में बडे बडे डायलॉग न बोलकर सच्चाई को भी युवाओं के सामने रखें।

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