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नेपाल के गोरखा जिले के एक गांव में 60 साल से चीन का राज चल रहा है और नेपाल की सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया। चीन रुई गुवान नाम के इस गांव को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) का हिस्सा बताता है। नेपाल के पेपर अन्नपूर्णा पोस्ट में इस बात का दावा किया गया है।

इस गांव में 72 परिवार हैं। नेपाल सरकार के आधिकारिक नक्शे में भी यह गांव नेपाल की सीमा के भीतर ही दिखाया गया है, लेकिन यहां पर नेपाल प्रशासन नहीं चलता है। इलाके को चीन ने अपने अधिकार में ले रखा है।

नेपाल सरकार वसूलती है गांववालों से रेवेन्यू
रिपोर्ट्सके मुताबिक, चीन ने नेपाली सीमा में स्थित इस गांव में अपने पिलर भी लगा दिए हैं, ताकि इस अतिक्रमण को जायज ठहरा सके। गोरखा जिले के रेवेन्यू दफ्तर में भी गांववालों से रेवेन्यू वसूले जाने के दस्तावेज हैं। रेवेन्यू अधिकारी ठाकुर खानल ने बताया कि ग्रामीणों से रेवेन्यू वसूलने के दस्तावेज अभी भी फाइल में सुरक्षित रखे हैं।

अन्नपूर्णा पोस्ट ने लिखा कि नेपाल यह इलाका कभी भी चीन से जंग के दौरान नहीं हारा और ना ही दोनों देशों के बीच ऐसा कोई विशेष समझौता हुआ था। यह केवल सरकारी लापरवाही का नतीजा है। दोनों देशों ने सीमाएं तय करने और पिलर लगाने के लिए 1960 में सर्वेयर लगाए थे। लेकिन, जानबूझकर पिलर नंबर 35 को ऐसी जगह लगाया गया, जिससे रुई गुवान का इलाका चीन के अधिकार में चला गया।

चीन ने कई और इलाकों की मार्किंग शुरू की
ग्रामीण म्युनिसिपालिटी के वार्ड चेयरमैन बहादुर लामा ने बताया कि कई लोग 1960 में इस इलाके को तिब्बत में शामिल किए जाने से खुश नहीं थे, वे रातोंरात साम्डो चले गए और वहां से 1000-1200 ऐतिहासिक दस्तावेज लेकर आए। रुई गुवान से साम्डो जाने का पैदल रास्ता करीब 6 घंटे का है। पिलर नंबर 35 के लगने के बाद से ही चीन रुई गुवान पर अपना अधिकार जता रहा है। इसके अलावा वह अब चेकम्पार सीमा के कई इलाकों पर भी पिलर लगाकर मार्किंग शुरू कर रहा है।





 from Dainik Bhaskar