ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने कहा है कि पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों की फंडिंग रोकने में नाकाम रहा है। एफएटीएफ ने फैसला किया है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखा जाएगा।
इससे पहले बुधवार को एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अभी भी आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने आतंकियों की फंडिंग रोकने कादिखावा करते हुए बहुत मामूली कदम उठाए हैं। इसमें कहा गया है कि भारत में पुलवामा अटैक के बाद पाकिस्तान घबरा गया और भारत में बड़े हमले करवाने से बच रहा है।
पाक ने दिखावे की कार्रवाई कीः अमेरिकी रिपोर्ट
अमेरिका के विदेश विभाग की ओर से आतंकवाद पर सालाना रिपोर्ट-2019 जारी की गई है। इसमें बताया गया कि पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीफ) के प्लान पर कुछ कदम तो बढ़ाए, लेकिन सभी वादों को पूरा नहीं किया। पाकिस्तान ने कुछ आतंकी समूहों के खिलाफ मामूली कार्रवाई की, इसमें लश्कर ए-तैयबा (एलईटी) का संस्थापक हाफिज सईद भी है। पाकिस्तान अभी भी क्षेत्रीय आतंकियों का अड्डा बना हुआ है।
बड़े आतंकियों पर कोई कार्रवाई नहीं की
पाकिस्तान ने दूसरे आतंकियों जैसे- जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर और 2008 में मुंबई अटैक के मास्टरमाइंड साजिद मीर पर कोई कार्रवाई नहीं की। यूएन ने भी मसूद को आतंकी घोषित किया हुआ है। पाकिस्तान में अफगानिस्तान को टार्गेट करने वाले अफगान तालिबानी, हक्कानी नेटवर्क और भारत को टार्गेट करने वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आंतकी संगठन हैं। ये आतंकी संगठन यहीं से अपना नेटवर्क चलाते हैं।
एफएटीएफ के एक्शन प्लान पर कोई कार्रवाई नहीं की
जून 2018 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इसके साथ ही आतंकियों की फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान को एक एक्शन प्लान दिया था। सितंबर 2019 तक एक्शन प्लान पर काम करना था। अक्टूबर 2019 में एफएटीएफ ने जब दोबारा समीक्षा की तो गंभीर खामियां सामने आई थीं। एफएटीएफ ने ब्लैकलिस्ट में डालने की चेतावनी देते हुए फरवरी 2020 तक का और समय दिया था।
अफगानिस्तान में भी हालात बिगाड़ रहा
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में भी कोई योगदान नहीं दिया। इसके बजाय उसने तालिबान को हिंसा के लिए उकसाकर मामले को बिगाड़ा ही है। पाकिस्तान अफगानिस्तान पर अटैक करने वाले हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान की पनाहगाह है।
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